श्री रामराज्य कोष, अयोध्या के पूजन का प्रसाद है,  यह प्रसाद अक्षय तृतीया के दिन तथा श्री रामराज्य कोष के पूजन के अन्य अवसरों पर प्रसाद के रूप में निर्मित करके भोग लगाया जाता है, इसके पश्चात इसका वितरण प्रजाजनों को किया जाता है। 

प्रसाद के निर्माण हेतु अजवाइन, कपूर और पुदीने जैसे बनस्पतियों के सत को विशेष पद्धति से मिश्रित करके तैयार किया जाता है।

इसे सामान्य जल से प्रतिदिन 2-2 बूँद सुबह शाम लेने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और जीवन शक्ति में बृद्धि होती है इसके अतिरिक्त प्रसाद का प्रयोग विभिन्न स्वरूपों में किया जा सकता है, जिसका संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है-

क्रम संख्या समस्या/कष्ट का नाम  

प्रसाद की प्रयोग विधि

 

सावधानी
पेट दर्द व पेट संबंधी समस्त समस्याओं में छोटे बच्चे (१से३ वर्ष तक)

आधा बूँद शहद के साथ चटाना (एक-एक घंटे के अंतराल पर तीन बार)

आराम न होने पर या कष्ट बने रहने पर वैद्य से तुरंत परामर्श करना।
छोटे बच्चे (३ से ६ वर्ष तक)एक बूँद शहद के साथ चटाना या चीनी/बताशा या पानी के  (एक-एक घंटे के अंतराल पर तीन बार) आराम न होने पर या कष्ट बने रहने पर वैद्य से तुरंत परामर्श करना।
६ वर्ष से अधिक आयु वर्ग के बच्चों को २ बूँद तक उचित माध्यम से दे सकते हैं। यह ३-४ घंटे के अंतराल पर दे सकते हैं। आराम न होने पर या कष्ट बने रहने पर वैद्य से तुरंत परामर्श करना।
बड़ी आयु के लोग भी ३-४ बूँद तक प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं। अंतराल ३-४ घंटे का होना चाहिए। आराम न होने पर या कष्ट बने रहने पर वैद्य से तुरंत परामर्श करना। गर्भवती महिलायें या ऐसे गंभीर रोगी जिनका पेट इत्यादि का कोई ऑपरेशन हो वे वैद्य के परामर्श से प्रसाद ग्रहण करें।
पेट में जलन, बदहजमी,

उल्टी व दस्त

अत्यधिक या असमय भोजन इत्यादि के कारण पेट में जलन, बदहजमी  होने की स्थिति में ऊपर बताए गए अनुसार प्रसाद की मात्रा ग्रहण कर सकते हैं।

किसी कारण से यदि उल्टी या दस्त की शिकायत हो जाए तो भी इसको ग्रहण कर सकते हैं।

 

 

तथैव

अजीर्ण, मंदाग्नि, बादी, बदहजमी, गैस व मंदाग्नि भोजन के बाद 2-3 बूंद अमृतधारा ठण्डे पानी में डालकर पीने से अजीर्ण, मंदाग्नि, बादी, बदहजमी और गैस संबंधी समस्याओं में आराम होता है। काम से काम चालीस दिन तक नित्य इसका प्रयोग करें। यदि इसके बाद भी समस्या बनी रहती है तो वैद्य से उचित परामर्श अवश्य लें।
दस्त दस्त लगातार होने की स्थिति में ५-७ बूँद अमृतधारा एक चम्मच अदरख के रस के साथ लेने से दस्त में आराम हो जाता है।

यह प्रयोग ६ वर्ष से अधिक आयु के लिए ही करें।

इसके बाद भी आराम न होने पर तुरंत वैद्य से संपर्क करें
हैजा एक चाय के चम्मच प्याज के रस में दो बूंद अमृतधारा डालकर पीने से हैजा में लाभ होता है। इसके बाद भी आराम न होने पर तुरंत वैद्य से संपर्क करें
सरदर्द दो बूंद प्रसाद ललाट पर मसलने से सिरदर्द में लाभ होता है। अमृतधारा आँख पर न लगे इस बात की सावधानी रखनी चाहिए
दांत और दाढ़ दर्द दांत या दाढ़ में किसी प्रकार का दर्द होने पर रुई के फाया में एक या दो बूँद प्रसाद डालकर दर्द वाले स्थान पर रखने से लाभ होता है। दर्द काम होने के पश्चात किसी वैद्य से अवश्य उपचार कराएं
श्वास, खांसी, दमा और क्षय रोग ठण्डे पानी में ४-५ बूंद अमृतधारा डालकर प्रात: सांय पीने लाभ होता है। अधिक व लंबे समय तक समस्या बनी रहे तो वैद्य से अवश्य मिलें
शारीरिक कमजोरी एक चम्मच गाय के माखन में आधा चम्मच शहद और तीन बूँद प्रसाद मिलाकर नित्य लेने से शारीरिक कमजोरी में बहुत लाभ होता है। अधिक व लंबे समय तक समस्या बनी रहे तो वैद्य से अवश्य मिलें
१० हृदय रोग आंवले के मुरब्बे में नित्य ३-४  बूंद प्रसाद डालकर खाने से हृदय रोग में राहत मिलती है। अधिक व लंबे समय तक समस्या बनी रहे तो वैद्य से अवश्य मिलें
११ खुजली एक चम्मच नीम के तेल में ५ बूंद प्रसाद मिलाकर मालिश करने से सभी प्रकार की खुजली में लाभ होता हैं। अधिक व लंबे समय तक समस्या बनी रहे तो वैद्य से अवश्य मिलें
१२ जुकाम, सर्दी, नाक बंद होना प्रसाद की एक-दो बूँद रुई के फाए में डालकर या रुमाल पर डालकर थोड़ी-थोड़ी देर में सूंघते रहें। इससे तत्काल आराम मिलता है।

इसके अतिरिक्त फेफड़ों में कफ प्रतीत  होने पर और श्वास लेने में कठिनाई प्रतीत होने पर प्रसाद के एक दो बूँद को गरम पानी में डालकर वाष्प लेने से बहुत अधिक लाभ होता है।

(यह अनुभव प्रयोगकर्ताओं के द्वारा बताया गया है)

अधिक व लंबे समय तक समस्या बनी रहे तो वैद्य से अवश्य मिलें
१३ मुख से दुर्गंध आना और पायरिया एक या दो बूँद प्रसाद एक कप पानी में डालकर सुबह दोपहर शाम भोजन के पश्चात या जब दुर्गंध आए २ मिनट तक लगातार पानी को मुख में रखकर कुल्ला करें। तत्काल आराम होगा। कुल्ला करने के १५-२० मिनट तक पानी के अतिरिक्त कुछ भी न खाएं पियें
१४ मुख में छाला प्रसाद की एक बूँद पान में डालकर प्रयोग करें, या ऊपर बताई विधि से कुल्ला करें, और पेट को ठंढा रखने हेतु २-२ बूँद प्रसाद का दिन में तीन बार पानी,-शहद या बतासे इत्यादि से सेवन करें। अधिक व लंबे समय तक समस्या बनी रहे तो वैद्य से अवश्य मिलें
१५ हिचकी १-२ बूँद प्रसाद जीभ में रखकर मुँह बंद करके सूँघने से 4 मिनट में ही लाभ होता है अधिक व लंबे समय तक समस्या बनी रहे तो वैद्य से अवश्य मिलें
१६ किट-पतंगों के काटने पर किट पतंगे जैसे ततैया, बिच्छू, भौरा या मधुमक्खी के काटने के स्थान पर अमृतधारा मलने लाभ होता है। अधिक व लंबे समय तक समस्या बनी रहे तो वैद्य से अवश्य मिलें
१७ जोड़ों के दर्द ४-५ बूँद प्रसाद को एक चम्मच वैसलिन या घी में मिलाकर मालिश करने से आराम होता है। अधिक व लंबे समय तक समस्या बनी रहे तो वैद्य से अवश्य मिलें
१८ फटी बिवाई उक्त पद्धति से तैयार लेप को लगाने से आराम मिलता है। अधिक व लंबे समय तक समस्या बनी रहे तो वैद्य से अवश्य मिलें
१९ फटे ओंठ उक्त लेप को लगाने से लाभ होता है और फटी चमड़ी जुड़ जाती है। अधिक व लंबे समय तक समस्या बनी रहे तो वैद्य से अवश्य मिलें
२० घमौरी उमस भरी गर्मी से घमौरी हो जाती है और अत्यधिक जलन व खुजली होती है, इसके लिए एक-दो बूँद प्रसाद हाँथ पर लेकर पानी के साथ मिलाकर त्वचा पर लगा दें तुरंत आराम होगा। अधिक व लंबे समय तक समस्या बनी रहे तो वैद्य से अवश्य मिलें
२१ दाढ़ी बनाने के बाद एक बूँद प्रसाद हथेली गीला करके गाल पर लगा लें, जलन को समाप्त करेगा, यह दुनिया के किसी भी आफ्टर सैविंग लोशन व क्रीम से अधिक प्रभावकारी है। अधिक व लंबे समय तक समस्या बनी रहे तो वैद्य से अवश्य मिलें
२२ बच्चों के गुदाद्वार में कीड़ी काटना यह समस्या छोटे बच्चों को अक्सर रात्रि में होती है, इसके लिए गुदा द्वार में एक बूँद प्रसाद डालने से तुरंत लाभ होता है। अधिक व लंबे समय तक समस्या बनी रहे तो वैद्य से अवश्य मिलें

(सावधानियाँ) प्रसाद कब नहीं लें

वैसे तो इसका कोई नुकसान नहीं हैं, फिर भी कुछ परिस्थियों में इन्हें नहीं लेना चाहिए।

  • नवजात शिशुव एक साल से छोटे बच्चों को नहीं देना चाहिए।
  • किसी भी सर्जरी के तुरंत पहले या बाद चिकित्सक परामर्श के बिना नहीं देना चाहिए।
  • आँख , नाक या कान में नहीं डालना चाहिए।
  • इसकी अधिक मात्रा से इसका तीखापन नुकसान पहुँचा सकता हैं , अतः बच्चो से इसे दूर रखे।
  • हमेशा ढक्कन टाइट बन्द करके रखें।

प्राप्त करने हेतु संपर्क करें – व्हाट्सएप संपर्क- ९८११५२९३७९, वेबसाईट- www.ramrajya.info एंड्रायड ऐप्लिकेसन – रामराज्य प्रशासन (Ramrajya Prashasan)

यह प्रसाद विक्रय के लिए उपलब्ध नहीं है। केवल समर्पण भाव से इसे प्राप्त किया जा सकता है। प्रसाद प्रदान करने का विशेषाधिकार श्री रामराज्य कोष के पास उपलब्ध है।

 

रामराज्य कोष प्रसाद से प्राप्त लाभ के अनुभव को हमें अवश्य बताएं, हमारा ईमेल है- ramrajyaprashasan@gmail.com