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Online Ramrajya Sabha ke Vichar:Udaipur Insident

 

 

श्री रामराज्य स्त्रोत

आञ्जनेयपतिराजाराघवाय नमः,

रामराज्यकोषमवतु प्रभो! कुरु रक्षासमृद्धिम् वैभववृद्धिम्

प्रजाभि: करं दीयतेऽत:, तापत्रयम् नाशय तेषां,

रामराज्यप्रशासकभाष्करस्य, वचनमिदं कुरु सिद्धम् !

प्रजा त्वं शपथं। जयतां रामराज्य:।

इति रामराज्य स्त्रोतः

अयोध्यापूरी, श्री रामराज्य सभा का आयोजन ऑनलाइन माध्यम से गूगल मीट पर किया गया, सभा में उपस्थित सभासदों ने एक मत से उदयपुर की घटना की कड़े शब्दों में निंदा की और समस्या के गंभीरता पर अपने-अपने विचार व्यक्त किए।

सभी की चिंता हिंदुओं पर हो रहे विगत १४०० वर्षों से चले आरहे इस्लामिक आतंक पर थी, इस्लाम प्रेरित क्रूरता, निर्दयता, पशुता को लेकर पूरी राज्यसभा ने अपना विरोध व्यक्त किया, इतिहास में इस्लाम पर नकेल कसने वाली विभिन्न घटनाओं पर भी चर्चा हुई।

मुस्लिमों द्वारा जनसंख्या विस्तार, हिंदुओं को जातियों में बांटने के षड्यन्त्र, काँग्रेस व अन्य मुस्लिम परस्त राजनैतिक दलों का सहयोग लेकर मुस्लिमों द्वारा स्थानीय पुलिस के सहयोग से हिंदुओं का उत्पीड़न सामान्य बात हो गई है, राजस्थान के राजसमंद के भीम शहर में स्थानीय पुलिस निरीक्षक द्वारा वहाँ के हिन्दू कार्यकर्ताओं को षड्यन्त्र पुर्वक गिरफ्तार करके और उनके सर मुड़वाकर, कपड़े फाड़कर उन्हें समाज में अपमानित करने की भी बात संज्ञान में आई है।

सभासदों ने इस बात पर चिंता व्यक्त की, कि जब मदनी द्वारा शिवलिंग के विरुद्ध अभद्र टिप्पणी की गई तो कार्यवाई केवल नूपुर शर्मा पर क्यों होनी चाहिए? किसी आस्थावान हिन्दू को टीवी चैनलों द्वारा चर्चा पर बुलाकर, उनके सामने हिंदुओं के देवी देवताओं को अपमानित करना आम बात हो गई है और जब कोई हिन्दू उसका उसी प्रकार प्रतिउत्तर दे देता है तो मुस्लिम समाज एक षड्यन्त्र के तहत हिंदुओं की हत्या के षड्यन्त्र में सहभाग करने लगते हैं, जिसका परिणाम है, स्वर्गीय कन्हैया जी की हत्या।

रामराज्य सभा ने यह संकल्प भी व्यक्त किया कि यदि राज्य शासन चलेगा तो रामराज्य के अनुकूल चलेगा, इस प्रकार के पशु प्रवृत्ति की समाज में कोई स्थान नहीं होना चाहिए, ऐसे विचारों को जन्म देने वाले मदरसों के प्रणाली पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगना चाहिए और गुरुकुल परंपरा के अनुकूल भारतीय संस्कृति के अनुरूप बच्चों की शिक्षा व्यवस्था होनी चाहिए। बच्चों को हिन्दुत्व की शिक्षा देने भी व्यवस्था होनी चाहिए।

हिंदुओं को अपनी जनसंख्या बनाए रखने के लिए कम से कम दो संतानों को अवश्य जन्म देना चाहिए और यदि दो से अधिक बच्चों को जन्म देते हैं तो उन्हें समाज द्वारा प्रोत्साहित करना चाहिए अन्यथा जनसंख्या असंतुलन विनाशकारी हो सकता है, जो लोग किसी भी कारण से मुस्लिम या ईसाई बन गए हैं उन्हें भी समझाकर कर पुनः हिन्दू बनाने के लिए एक आंदोलन के रूप में प्रयास होना चाहिए। सरकार द्वारा भी इसके संबंध में कानून बनाना चाहिए।

भारत के मामले में इस्लाम के नाम पर पूरी दुनिया के मुस्लिम देशों की दखलंदाजी, भारत के इस्लामिकरण की कोई वैश्विक चाल का हिस्सा हो सकती है, क्योंकि पूरा-का-पूरा इस्लामिक समाज ही षड्यन्त्र के आश्रित है, इसलिए इस्लामिक या ईसाई देशों के साथ व्यापार भी पंथ निरपेक्ष कराधान के अनुरूप करने के संदर्भ में भारत को विचार करना चाहिए।

हिन्दू समाज को अपने पारंपरिक अस्त्र शस्त्र जो कि सामान्य लोकाचार में लकड़ी चीरने, नारियल काटने, देवियों के पूजन के त्रिशूल इत्यादि सदैव रखना चाहिए और नियमानुसार प्रत्येक व्यक्ति ६ इंच तक का धारदार हथियार अपने आत्मरक्षा हेतु भी सदैव अपने पास रखना चाहिए, अपने व्यवसाय स्थल पर भी कोई न कोई आत्मरक्षार्थ धारदार हथियार रखना चाहिए। जो लोग आर्थिक रूप से सक्षम हैं वे बंदूक/रिवाल्वर का लाइसेन्स भी अवश्य प्राप्त करें।

इस्लामिक समाज केवल अपने लिए ही विचार करता है, भारतीय संस्कृति में इस प्रवृति को पशु तुल्य माना गया है, इसलिए इस समाज के सभी आर्थिक अंगों-उपांगों का सामूहिक तिरस्कार करना हिन्दू समाज के लिए आवश्यक है, हिन्दू गर्दन काटने जैसा नृशंस कार्य तो नहीं कर सकता है, इसलिए आर्थिक बहिष्कार ही वर्तमान में उचित होगा।

जो मुस्लिम छद्म नाम से परिचय दे उसके विरुद्ध स्थानीय थाने में तुरंत वाद प्रस्तुत करने की व्यवस्था भी राज्यसभा में विचार किया गया और संपत्ति के पंजीकरण को इस प्रकार से किया जाए कि वह संपत्ति गैर हिन्दू कभी भी न ले सके।

राज्य सभा ने एक मत से यह निश्चित किया की भविष्य में हिंदुओं की सुरक्षा हेतु एक तंत्र जो कि बिना सरकार के सहयोग के हो प्रत्येक विकसित किया जाना चाहिए, जिससे सरकार चाहे किसी की भी हो हिन्दू असुरक्षित न हों।

सुप्रीम कोर्ट की अटपटी टिप्पणी पर भी राज्य सभा ने संज्ञान लिया और इस विषय पर अलग से राज्यसभा के आयोजन की बात कही गई।

राजा रामचन्द्र की जय के साथ सभा का समापन हुआ।

 

 

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