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केन्द्रीय विद्यालय BHU के #छात्र_मयंक_यादव के मृत्यु के लिए दोषी प्रधानाचार्य और उप प्रधानाचार्य पर हत्या का मुकदमा होना चाहिए। @मोबाईल आज की वास्तविकता है, कक्षा ८ के बाद इसको रखने की अनुमति होनी चाहिए।

राजा रामचन्द्र की जय। काशी हिन्दू विश्व विद्यालय स्थित केन्द्रीय विद्यालय में जो दुखद घटना हुई है वह अत्यंत कष्टकारक व निंदनीय है। आज जो यह शिक्षा के विद्यालय चल रहे हैं वास्तव में ये किसी जेल की तरह है, जहां छात्रों को प्रताड़ित और उनके अभिभावकों को अपमानित किया जाता है। किसी छात्र को निलंबित करने का क्या औचित्य है, क्या विद्यालय न्यायालय हैं, उनके पास न्यायिक अधिकार कैसे उपलब्ध है?
रही बात विद्यार्थियों के मोबाईल ले जाने की तो क्यों सज्ञान विद्यार्थी मोबाईल लेकर विद्यालय नहीं जा सकते हैं? जब कोविड के समय में इन्हीं मोबाईलों ने पूरे शिक्षा तंत्र को बचा कर रखा था, तब विद्यालय के भवन, मोटा-मोटा वेतन लेने वाले विद्यालय के शिक्षक उस समय कोई बहुत उपयोगी साबित नहीं हो सके थे। आज जब एक विद्यार्थी मोबाईल लेकर जाता है तो उसे विद्यालय से निलंबित कर दिया जाता है। यह विद्यालय की पूरी व्यवस्था के मानसिक दिवालियापन का परिचायक है।
विद्यार्थी इस राष्ट्र के भविष्य हैं जबकि आज के ये यातना स्वरूप विद्यालय विद्यार्थियों की अर्थी निकालने को अपना मुख्य कर्तव्य मान रहे हैं। काशी जो कि ज्ञान की नगरी है, इसलिए भारत रत्न मदन मोहन मालवीय जी ने यह काशी हिन्दू विश्व विद्यालय स्थापित किया था, परंतु आज उस विश्व विद्यालय में केन्द्रीय विद्यालय नाम का एक विष बेल लगाया जाना अत्यंत खेद जनक है।
विद्यालयों में मोबाईल को एक शिक्षा यंत्र के रूप में प्रयोग करने हेतु विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करके उपयोगी बनाना चाहिए तो उसकी जगह विद्यार्थियों को निलंबित करके और उनके अभिभावकों को अपमानित करके विद्यालय का प्रशासन राक्षसी कार्य में लिप्त है। 

अधिकांश केन्द्रीय विद्यालय के प्रधानाचार्य मानसिक रूप से अस्वस्थ होते हैं, इसका प्रमाण केन्द्रीय विद्यालय के शिक्षक और कर्मचारी दे सकते हैं, तो आप स्वयं ही विचार करें की आपके पुत्र-पुत्री उन विद्यालयों में कैसे सुरक्षित हो सकते हैं। सरकार के पास ऐसा कोई तंत्र नहीं है जिससे इन मानसिक विक्षिप्त प्रधानाचार्यों को व्यवस्था से अलग किया जा सके।

ऐसे विक्षिप्त और क्रूर व्यवस्था में भारत का भविष्य सुरक्षित नहीं है, आज परिवार के कारण भले ही कुछ विद्यार्थी अच्छे नागरिक बन जाएँ अन्यथा ये विद्यालय विद्यार्थियों को मनुष्य के स्थान पर शिक्षित पशु के रूप में सिद्ध कर रहे हैं, भारतीय होना तो दूर का विषय है।

अतः रामराज्य प्रशासन यह मांग करता है-

१. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के इस केन्द्रीय विद्यालय प्रशासन को तत्काल निलंबित किया जाए,

२. प्रधानाचार्य और उप प्रधानाचार्य को गिरफ्तार करके हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए।

३. सभी केन्द्रीय विद्यालयों और सीबीएसई/राज्य सरकार के मान्य विद्यालयों के प्रधानाचार्य व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के मानसिक अवस्था का सत्यापन निरंतर अंतराल पर होता रहे।

४. १४-१५ वर्ष से अधिक आयु के छात्र-छात्राओं के मोबाईल ले जाने पर किसी प्रकार का प्रतिबंध न हो। अपितु इसलिए नियमावली का निर्धारण हो।

५. ५ वीं के पश्चात प्रत्येक विद्यालय में छात्र का अभिभावक किसी विद्यालय के शिक्षक को ही बनाए जाने की व्यवस्था लागू हो, माता-पिता को सभी बातों के लिए जिम्मेदार होने और शिक्षक द्वारा स्वयं की कोई जिम्मेदारी न लेने की प्रवृति से वर्तमान शिक्षा व्यवस्था को बाहर आना चाहिए।

६. विद्यार्थियों को किसी प्रकार का अपमान जनक दंड न दिया जाए, विद्यार्थियों के विद्यालय स्थित किसी विवाद के निपटारे हेतु शिक्षक और विद्यार्थियों की समग्र समिति का गठन प्रत्येक विद्यालय में हो।

७. इन सभी विषयों पर काशी के माननीय सांसद और भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी संज्ञान लेते हुए संसद में विशेष परिचर्चा के माध्यम से भविष्य के भारत के विद्यालय व्यवस्था के आमूलचूल परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त करें।

मृतक छात्र की आत्मा को शांति और परिवार को धैर्य की कामना करते हुए।

ॐ शांति

श्री राम

सत्य नाम

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