
राजा रामचन्द्र की जय। दैव योग से ही कभी-कभी देवता अपने होने का प्रमाण आधुनिक माध्यम से भी देते हैं। जब स्वतंत्रता के पश्चात स्कूल वाली कॉंग्रेसी कचरा पीढ़ी अपने संस्कृति और सभ्यता को पूरी तरह भूल रही थी, उसी समय दैव योग से कांग्रेस भी अपने अस्तित्व को बचाने में लगी हुई है और कचरा पीढ़ी भी अपने पहचान को पुनः प्राप्त करने हेतु माध्यमों की खोज कर रही है।
ग्राम देवता और वन देवता को कभी विस्मृत न होने दें- रामराज्य प्रशासन, अयोध्यापुरी
आधुनिक काल में जब हर घर में टीवी है, OTT प्लेटफार्म पर इतना कुछ है कि कोई सिनेमा हाल में जाकर पिक्चर देखना नहीं चाहता है, परंतु ऐसे समय में भी यदि भारतीय संस्कृति को पुनः प्रकट करने वाली फिल्मों लोगों के बीच लोकप्रिय हो रही हैं तो इसका मतलब है, लोग अपनी जड़ों से प्रेम करते हैं, परंतु विस्मरण के कारण उसकी जानकारी वर्तमान पीढ़ी को कम हो चली थी, वहीं अपने जड़ों को पुनः स्मरण कराने वाली फिल्में लोगों को घरों से बाहर सिनेमा हालों तक जाने को मजबूर कर रही है।
इस फिल्म को देखने के पश्चात मुझे अपने गाँव के ग्राम देवता का स्मरण हो आया, साथ ही उन वनवासियों का भी स्मरण हो आया जिनके बीच रहकर मैंने अपना महत्वपूर्ण समय छिंदवाड़ा के पातलकोट के गैलडुब्बा नामक गाँव में बिताया था। सनातन भारतीय संस्कृति और उसके स्थानीय विश्वासों को स्मरण कराने वाली इस फिल्म को सभी भारतीयों को देखना चाहिए।
क्योंकि जैसे जड़ों से बिना जुड़े कोई भी वृक्ष अपने अस्तित्व को नहीं बचा सकता उसी प्रकार कोई भी राष्ट्र अपने सांस्कृतिक जड़ों से कटकर अपने अस्तित्व को सुरक्षित नहीं कर सकता। इसीलिए अपनी जड़ों को देखने हेतु इस फिल्म को सपरिवार अवश्य देखें।
जय श्री राम।
रामराज्य प्रशासन, अयोध्यापुरी
यूट्यूबर्स के कुछ विश्लेषण –
Comment(1)
Vikas Singh says
October 27, 2022 at 4:00 pmजो व्यक्ति अपनी जड़ों को भूल जाता है उसको लोग भुला देते हैं और कालांतर में उसका भी अस्तित्व भुला दिया जता है I मैं गाँव से जुड़ा हुआ व्यक्ति हूँ और गावों के रीती रिवाजों , संस्कृति और परम्पराओं का पालन करने वाला हूँ I
कान्तारा फिल्म इसी परम्परा का एक कदम है I मैं लोगों से अपील करता हूँ की सपरिवार इस फिल्म को जरुर देखने जाएँ I