आयोध्यपूरी। रामराज्य प्रशासन राज्य प्रणाली की उस सनातन परंपरा पर कार्य कर रहा जिससे सभी प्रजा जनों को सर्वसुख प्राप्त हो सके, इस प्रणाली में विनिमय की प्रणाली मुद्रा की महत्ता अति विशेष है क्योंकि यह अपने विस्तार और विनिमय के साथ सत्ता प्रणीत विश्वास और समृद्धि को भी प्रसारित करती है।
प्राचीन मुद्रा प्रणाली विश्वास नहीं अपितु सत्य पर अवलंबित थी, इसीलिए वह स्वर्ण, रजत या अन्य धातुओं में होती थी, जिससे उसका प्रयोग सत्ता के संकट में भी अधिकांशतः सुरक्षित होता था, सत्ता की सीमाओं से परे था, यह प्राचीन प्रणाली आर्थिक विकेन्द्रीकरण पर आधारित था। परंतु उपनिवेश काल के पश्चात यूरोप के सत्ता प्रतिष्ठानों ने स्वर्ण व अन्य संपत्तियों को अपने राजकोष में रखकर उसके आधार पर अपना विश्वास पत्र नोट अर्थात कागजी मुद्रा का प्रचलन प्रारंभ किया, जिसके कारण धीरे-धीरे आज वह इतना प्रसारित हो गया कि प्राचीन मुद्रा प्रणाली का विलोप ही हो गया।
यह विश्वासी मुद्रा प्रणाली अर्थ सत्ता का केन्द्रीयकरण करती है, और सत्ता को अधिक शक्तिशाली बनाती है, परंतु यह कागज की विश्वासी मुद्रा चोरों, तस्करों, राष्ट्र के शत्रुओं और समाज के अवांछनीय
तत्वों के हाथ में पड़कर उसी सत्ता प्रतिष्ठान और समाज के लिए शत्रु स्वरूप भी बन जाती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि इन प्रकाशित मुद्राओं का कोई काल बाह्यता नहीं होती है, जिसके कारण चोर, आतंकी, भ्रष्टाचारी, तस्कर व अन्य असामाजिक तत्व इनकी चोरी करके इनके विनिमय हेतु निश्चिंत रहते हैं।
जब मुद्रा स्वर्ण, रजत इत्यादि मुद्राओं में होती थी तो उनकी काल बाह्यता का निर्धारण संभव नहीं था, परंतु प्रकाशित कागजी मुद्रा के साथ यह समस्या नहीं है, तो भी ऐसा क्यों नहीं किया जाता, यह विचार का विषय है।
मुद्रा की छपाई, रख-रखाव पर जो व्यय होता है वह अपने स्थान पर सही है, परंतु किसी भी राष्ट्र की संप्रभुता व रक्षा उसके मुद्रा पर भी आधारित होती है, जो मुद्रा किसी राष्ट्र को समृद्ध करने में सहायक है, वही मुद्रा इसके विपरीत उस राष्ट्र की सत्ता के लिए ध्वंसकारी भी होती है, अतः मुद्रा को दो धारी तलवारी कहना उचित होगा। इसीलिए यदि कागज की मुद्रा को प्रकाशित करते समय ही उसकी काल बाह्यता या समापन तिथि (Expiry Date) निश्चित कर दी जाए, तो उस मुद्रा के गलत कारणों से संग्रह पर कुछ हद तक अंकुश लगाया जा सकता है।
दुनिया के अर्थ और वित्त के विशेषज्ञों को इस विषय पर विचार व चर्चा करना चाहिए, भले ही डिजिटल मुद्रा की ओर दुनिया बढ़ रही हो परंतु ये कागज की मुद्राएं इतनी जल्दी दुनिया से समाप्त होती नहीं दिखती हैं।
रामराज्य प्रशासन के इस विचार पर अपने प्रतिक्रिया से हमें अवश्य अवगत कराएं।
राजा रामचन्द्र की जय।