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क्यों मनाया जाता है नाग पंचमी का त्योहार? जानिए पौराणिक कथा

हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास के शु्क्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। यह दिन नाग देवता की पूजा के लिए समर्पित होता है। मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पौराणिक काल से सर्प देवताओं की पूजन की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि नाग की पूजा करने से सांपों के कारण होने वाला किसी भी प्रकार का भय खत्म हो जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नाग पंचमी के दिन नाग देवताओं की आराधना करने से जातकों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

नाग पंचमी पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार जनमेजय अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित के पुत्र थे। जब जनमेजय ने पिता की मृत्यु का कारण सर्पदंश जाना तो उसने बदला लेने के लिए सर्पसत्र नामक यज्ञ का आयोजन किया। नागों की रक्षा के लिए यज्ञ को ऋषि आस्तिक मुनि ने श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन रोक दिया और नागों की रक्षा की। इस कारण तक्षक नाग के बचने से नागों का वंश बच गया। आग के ताप से नाग को बचाने के लिए ऋषि ने उनपर कच्चा दूध डाल दिया था। तभी से नागपंचमी मनाई जाने लगी। वहीं नाग देवता को दूध चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।

नाग पंचमी के दिन इन देवों का करें स्मरण

नाग पंचमी के दिन जिन नाग देवों का स्मरण कर पूजा की जाती है। उन नामों में अनंत, वासुकी, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट, शंख, कालिया और पिंगल प्रमुख हैं। इस दिन घर के दरवाजे पर सांप की 8 आकृतियां बनाने की परंपरा है। हल्दी, रोली, अक्षत और पुष्प चढ़ाकर सर्प देवता की पूजा करें। कच्छे दूध में घी और शक्कर मिलाकर नाग देव का स्मरण कर उन्हें अर्पित करें।

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रामराज्य प्रशासन स रामराज्य प्रशासन सार्वजनिक सूचना
(प्रदेश समितियों के गठन हेतु )
जय श्री राम।🏹श्री रामराज्य की समस्त भारतीय (वर्तमान राजनैतिक भारत) प्रजा को सूचित किया जाता है कि रामराज्य प्रशासन द्वारा सभी ३६ प्रदेशों/केंद्र शासित प्रदेशों की समितियों के गठन की प्रक्रिया चल रही है।
यह आवेदन प्रक्रिया इस वर्ष की विजयदशमी की पूर्व संध्या तक चलेगी और समिति की घोषणा विजयादशमी के शुभ अवसर पर होगी।
जो भी बंधु प्रदेश की समितियों में सम्मिलित होना चाहते हों, तो कृपया नीचे दिये गए लिंक के माध्यम से अपना विवरण हमें भेजें।* 
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लिंक - https://ramrajya.info/rrp_ps/
💁 इस संबंध में कोई जानकारी चाहिए तो WhatsApp 9811529379 पर संदेश भेजकर प्राप्त कर सकते हैं।
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Whatsapp संदेश भेजने के लिए लिंक- https://wa.me/message/T5H3EJXRHZ7PA1 
📵 विशेष- केवल संदेश भेजें क्योंकि फोन पर उत्तर देना संभव नहीं है। 
जयतां रामराज्यः।
भाष्कर सिंह
प्रशासक
रामराज्य प्रशासन, अयोध्यापुरी
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जय श्री राम।

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*एक महान रामभक्त*
हिंदू हृदय सम्राट श्री अशोक सिंघल (१९८३ - २०७२ विक्रमी) 
हिन्दू संगठन विश्व हिन्दू परिषद के २० वर्षों तक अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। आज वि॰हि॰प॰ की जो वैश्विक ख्याति है, उसमें अशोक सिंहल जी का योगदान सर्वाधिक है। श्री अशोक सिंघल परिषद के काम के विस्तार के लिए विदेश प्रवास पर भी जाते रहे। वे आजीवन अविवाहित रहे।
अशोक सिंघल का जन्म राधा अष्टमी १९८३ विक्रमी को आगरा में हुआ था। उनके पिता एक सरकारी दफ्तर में कार्यरत थे।बाद में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े। उन्होने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (अब, आई आई टी) से धातुकर्म में इंजीनियरिंग की। इसके पश्चात इंजीनियर की नौकरी करने के बजाये उन्होंने समाज सेवा का मार्ग चुना और आगे चलकर आरएसएस के पूर्णकालिक प्रचारक बन गये। उन्होंने उत्तर प्रदेश और आस-पास की जगहों पर आरएसएस के लिये लंबे समय के लिये काम किया और फिर दिल्ली-हरियाणा में प्रांत प्रचारक बने।
देश में आपातकाल के समय संघ पर प्रतिबन्ध रहा। इस दौरान अशोक सिंघल इंदिरा गांधी की तानाशाही के विरुद्ध हुए संघर्ष में लोगों को जुटाते रहे। आपातकाल के बाद वे दिल्ली के प्रान्त प्रचारक बनाये गये। डा० कर्ण सिंह के नेतृत्व में दिल्ली में एक विराट हिन्दू सम्मेलन हुआ; पर उसके पीछे शक्ति अशोक सिंघल और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की थी। उसके बाद अशोक सिंघल को विश्व हिन्दू परिषद् के काम में लगा दिया गया।
इसके बाद परिषद के काम में धर्म जागरण, सेवा, संस्कृत, परावर्तन, गोरक्षा आदि अनेक नये आयाम जुड़े। इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण है श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आन्दोलन, जिससे परिषद का काम गाँव-गाँव तक पहुँच गया। इसने देश की सामाजिक और राजनीतिक दिशा बदल दी।
राम जन्मभूमि आन्दोलन
२०४१ विक्रमी में दिल्ली के विज्ञान भवन में एक धर्म संसद का आयोजन किया गया। सिंहल जी इस के मुख्य संचालक थे। यहीं पर राम जन्मभूमि आंदोलन की रणनीति तय की गई। यहीं से सिंघल ने पूरी योजना के साथ कारसेवकों को अपने साथ जोड़ना शुरू किया। उन्होने देश भर से 50 हजार कारसेवक जुटाये। सभी कारसेवकों ने राम जन्मभूमि पर राम मंदिर स्थापना करने की सौगंध देश की प्रमुख नदियों के किनारे खायी। गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी दिन रविवार को विक्रम संवत् २०४९ में विवादित ढाँचा तोड़ने वाले कारसेवकों की सेना के सेनापति श्री अशोक सिंघल जी ने राजा रामचन्द्र जी के आशीर्वाद से विजय प्राप्त की। 
आज जो भव्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर अयोध्या में बन रहा है उसके प्रारूप को श्री अशोक सिंघल जी के द्वारा ही तैयार करवाया गया था।
जय श्री राम। सादर आमंत्रित।
नववर्ष की शुभकामना नववर्ष की शुभकामनाएं।
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रामराज्य कोष और प्रशासन, अयोध्यापुरी की ओर से समस्त प्रजाजनों को दिपावली की हार्दिक शुभकामनाएं। दिपावली के शुभ अवसर पर राजा रामचंद्र जी के प्रति भेंट अर्पित करने हेतु रामराज्य कोष, अयोध्यापुरी पेटीयम क्यूआर कोड। जय श्री राम।
Jai Shri Ram Jai Shri Ram
https://youtu.be/bY6EpSIiuOk https://youtu.be/bY6EpSIiuOk
रामराज्य प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए कृपया ऐप को तुरंत डाउनलोड करें। जय श्री राम
जय सियाराम जय सियाराम
आदि शंकराचार्य जयं आदि शंकराचार्य जयंती की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
सूरदास जयंती की बहुत-बहुत शुभकामनाएं
इस वार्षिक पूजन में आप सभी सादर आमंत्रित हैं। जय श्री राम
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