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Posted on August 1, 2022 Posted By: भाष्कर सिंहCategories: अभिब्यक्ति
रामराज्य, अयोध्यापुरी। नाट्यशास्त्र बहुत ही प्राचीन और मानव सभ्यता के उन्नयन हेतु कार्य करने वाली विद्या है। राजा रामचन्द्र जी स्वयं भी इस शास्त्र के अच्छे ज्ञाता थे। प्रजा के मनोभावों को उन्नत करने, अनुकूल करने और सुख की अनुभूति कराने वाले इस विद्या पर कुछ असुर प्रवृति के विचारों का वर्चस्व विगत ४०-५० वर्षों में होता दिख रहा है।
असुरों के इस वर्चस्व को समाप्त करना आवश्यक है, लोकतंत्र में प्रजा ही राजा के भी कर्तव्य का पालन करती है, अतः उसे बुराई, असत्य, अपप्रचार करने वाली असुर प्रवृति के फिल्मों का विरोध करना चाहिए और अपना धन इसके विपरीत फिल्मों पर खर्च करना चाहिए, जिससे की असुरों का विनाश किया जा सके।
अतः अब आप जब भी फिल्म देखने का विचार करें तो क्या नहीं देखना है इसका विचार अवश्य करें। क्योंकि इन फिल्मी कलाकारों का पोषण हमारे धन से ही होता है, धन असुरों पर खर्च करना रामराज्य और भारत दोनों के ही अस्तित्व के लिए ठीक नहीं है।