रामराज्य प्रशासन के संचालन के संबंध मे बृहद रूप से प्रशासक श्री भास्कर सिंह और प्रशासक श्री बागेश श्रीवास्तव के मध्य असम राज्य में गुवाहाटी , जोरहाट एवं अन्य शहरों में भ्रमण किया गया, इस भ्रमण में यह पाया गया कि रामराज्य के अनुकूल प्रजा की स्थिति अत्यंत दयनीय है, विशेष करके व्यापार के क्षेत्र में निरंतर असुर प्रवृति के व्यापारियों का प्रभाव बढ़ रहा है।
इसके पीछे का कारण यह है कि व्यापारी केवल निजी हित के आधार पर व्यापार कर रहे हैं और सामूहिक व्यापार चिंतन उनके व्यवहार में नहीं है, दूसरी ओर असुर व्यापारी सामूहिक चिंतन और रामराज्य के अनुकूल प्रजा के व्यापार को समाप्त करने के आधार पर अपने को आगे बढ़ा रहे हैं।
यह भी देखने में आया कि नई पीढ़ी व्यापार से दूर हो रही है, जबकि असुर प्रवृति के लोग लगातार नई पीढ़ी को व्यापार में उतार रहे हैं। इसके कारण भविष्य में रामराज्य की प्रजा को भविष्य में घोर संकटों का सामना करना पड़ सकता है और असुर अपनी प्रवृति के अनुसार उनके व्यापार को नष्ट करके उस क्षेत्र से उन्हें हिंसा और बलपूर्वक भगाने का प्रयास कर सकते हैं।
अतः रामराज्य प्रशासन इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि नई पीढ़ी को अपने परंपरागत व्यापार को आगे बढ़ाना चाहिए और केवल नौकरी, सुंदर पत्नी, कर्जे पर गाड़ी, मकान की प्रवृति को छोड़कर उद्यमी बनकर अपने परिवार, समाज और राष्ट्र को असुरों से बचाने प्रयास करना चाहिए। क्योंकि व्यापार नौकरी से अधिक श्रेष्ठ माना गया है।
समाज के प्रबुद्ध वर्ग को भी युवाओं के इस प्रयास में सहयोग करना चाहिए, तभी भारत की धरती से असुर प्रवृति के विनाश का स्वप्न भविष्य में साकार हो सकता है।