राजा रामचंद्र की जय। विश्व सम्राट की जन्म भूमि जिसे सनातन धर्मी श्रीराम जन्म भूमि की संज्ञा देते हैं, वह सनातन धर्म का प्राण बिंदु है, जिसकी रक्षा स्वयं महाबली बजरंगबली जी करते हैं और हम सब तो केवल उनके अनुगामी हैं।
केवल श्री रामजन्म भूमि ही नहीं अपितु शास्त्रों में वर्णित 12 x 03 योजन अर्थात ३६ वर्ग योजन की सम्पूर्ण अयोध्या केवल और केवल राजा रामचंद्र जी की ही है, श्री वाल्मीकि जी ने रामायण के बाल कांड के पंचम सर्ग में इसका वर्णन इस प्रकार किया है-
आयता दस च द्वे च योजनानि महापुरी ।
श्रीमती त्रीणि विस्तीर्णा सुविभक्तमहापथा।।७।।
इसलिए अयोध्या की उक्त वर्णित भूमि पर केवल और केवल राजा रामचंद्र जी व उनकी भक्त प्रजा का ही विशेषाधिकार है, शेष जो इस भूमि के किसी भी हिस्से पर दावा करता है वह घोर दण्ड का भागी है, और एक बात सभी को स्पष्ट होना चाहिए कि इस्लाम राजा रामचंद्र जी का अपराधी है और श्री राम शक्ति के द्वारा पहले ही श्रापित है और जल्द ही सम्पूर्ण विश्व में उसका अस्तित्व शेष हो जाएगा, आवश्यकता निरंतर संघर्ष व रामराज्य के प्रति अपने दायित्व की पूर्ति का है- जय श्री राम