
अयोध्या नरेश राजा रामचंद्र जी पूरे विश्व के एक मात्र न्यायाधीश हैं, उनके जन्मभूमि पर चल रहे वाद का निर्णय देने वाली संस्था जो कि अपने को सर्वोच्च न्यायालय की संज्ञा देती है के निर्णय के न्याय संगत न होने पर श्री राम जन्मभूमि का विषय पुनः राजा रामचंद्र जी के ही न्याय सभा में रखा जाना है।
राजा रामचन्द्र जी का न्यायदण्ड बहुत ही श्रेष्ठ है, यह तो श्री राम जन्मभूमि के विषय में निर्णय लेने वाली संस्था को देखना है कि वह राजा रामचन्द्र जी के समक्ष अपने को सिद्ध कर पाती है या नहीं। जैसा कि यह देखने में आ रहा है कि कई संगठन यह कह रहे हैं की सर्वोच्च न्यायालय का जो भी निर्णय होगा उन्हें वह मान्य होगा, परंतु ऐसा नहीं है। जो निर्णय राजा रामचन्द्र जी के सभा में न्याय संगत नहीं होगा वह श्री राम की प्रजा रहती दुनिया तक नहीं मानेगी।
राजा रामचन्द्र जी का न्याय चक्र बहुत ही अद्भुत है, यह सामान्य प्रजा को भी कभी-कभी समझ में नहीं आता तो नास्तिकता से ओतप्रोत लोगों को समझ में आना तो और भी कठिन है। सर्वोच्च न्यायालय संगठन के निर्णय आने के पश्चात निर्णय के न्याय संगत होने न होने पर अंतिम मान्यता राजा रामचन्द्र जी के वार्षिक राजसभा, अयोध्यापुरी में ही होगा।
इस विषय को जन-जन तक पहुंचा कर पूरे विश्व में रामराज्य का सञ्चालन करना है।
