राजा रामचंद्र की जय। पूरे विश्व में रामराज्य के सञ्चालन के लिए यह अति आवश्यक है कि सनातन धर्म का अधिक से अधिक विस्तार हो, सनातन धर्म का तभी विस्तार संभव है जब की कोटि-कोटि सनातन धर्मी इसके विस्तार में निरंतर लग जाएँ-
कैसे करें सनातन धर्म का विस्तार-
१. रामराज्य की प्रजा अर्थात सनातन धर्मियों को चाहिए की वे केवल अपनी ही जाति में अपने पुत्र/पुत्रियों के विवाह की परंपरा और अपने क्षेत्र व भाषा-भाषी में ही विवाह करने की परंपरा से आगे बढ़ें और सभी जाति व संप्रदाय में वैवाहिक संबंध स्वीकार करें, जो संबंध गैर सनातनी में हों उन्हें अपने धर्म में विधिपूर्वक दीक्षित करने के उपरांत स्वीकार करें।
२. अपने पुत्र/पुत्रियों को प्रेम विवाह करने से न रोकें अपितु उन्हें किशोरावस्था में आते ही इस बात से अवगत कराएँ की प्रेम करने में क्या सावधानी रखनी चाहिए, जीवन साथी का चुनाव कैसे करें, गृहस्थ आश्रम में कैसे प्रवेश करें इत्यादि, जिससे की कोई उन्हें किसी गलत तरीके से प्रेमजाल में फंसाकर जीवन न बर्बाद कर दे, आपके पुत्र/पुत्री जिससे भी विवाह करना चाहें उन्हें करने की अनुमति सहर्ष दें और यदि वे किसी गैर सनातनी से प्रेम करें तो उन्हें सनातन धर्म में दीक्षित कराने का पूरा प्रयास करें।
३. भारत के बाहर जहाँ कहीं भी सनातन धर्म की जड़ें कमजोर हैं वहां सक्षम परिवार जो राजनैतिक व आर्थिक रूप से सक्षम हों से संबंध बनाने और सनातन धर्म में दीक्षित करने का प्रयास करें।
४. राजा रामचंद्र की कथा जो कि रामायण में निहित है अपने बच्चों और उनके मित्रों को बाल्यकाल से ही अवश्य बताएं, स्कूल के भरोसे अपने बच्चों के संस्कार में सावधानी रखें, क्योंकि स्कूल लोभ, लालच व विधर्मियों के संरक्षण केंद्र हैं, जहाँ संस्कार के स्थान पर केवल अहंकार जनित कुसंस्कार ही दिए जाते हैं।
५. सनातन धर्म में दीक्षित होने के लिए आर्य समाज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, शंकराचार्य पीठ, महामंडलेश्वर इत्यादि धर्म गुरुओं से संपर्क करें।
६. यदि कोई मार्ग न समझ में आये तो रामराज्य प्रशासन से संपर्क करें।
यह लेख अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं और रामराज्य के कार्य को गति प्रदान करके पूरे विश्व में रामराज्य के सञ्चालन में सहयोग करें।