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पूरे विश्व में रामराज्य के प्रसार हेतु रामराज्य कोष में नियमित योगदान करें।

राजा श्री रामचंद्र की जय 

पूरे विश्व में राजा श्री रामचंद्र का शासन संचालित हो सके इसके लिए यह आवश्यक है कि पूरे विश्व की श्री रामचंद्र की प्रजा अपने प्रजा दायित्व को विभिन्न स्वरूपों में पूर्ण करे।  इसी दायित्व में एक दायित्व है अपने राजा को समय-समय पर आर्थिक समर्पण का भाव।

प्राचीन काल में राजा को राजकर देने की परंपरा थी, वर्तमान काल में  राजव्यवस्था नहीं होने के कारण यह परंपरा भी शेष हो चुकी है, परन्तु हमारा राजा तो आज भी है और इस पृथ्वी पर जीवन रहने तक वह रहेगा, इसकी घोषणा स्वयं श्री वाल्मीकि जी ने अपने रामायण में इस प्रकार की है-

यावदावर्तते चक्रन् यावती च वसुन्धरा |
तावत्त्वमिह सर्वस्य स्वामित्वमभिवर्तय || ६-१२८-११

इसीलिए प्रजा का आज भी यह कर्तव्य है कि वह इस परंपरा को बनाये रखे, इसके लिए ही राजा श्रीरामचंद्र  की राजधानी में उन्हीं की प्रेरणा से अक्षय तृतीय को प्रतिवर्ष रामराज्य कोष को पूजन किया जाता है, इसके अतिरिक्त अन्य शुभ अवसरों पर भी श्री रामराज्य कोष में पूजन स्वरुप समर्पण किया जा सकता है-

जैसे-

१. परिवार में कोई शुभ अवसर आने पर जैसे- जन्मदिन, विवाह, पुत्र-पुत्री का जन्म, नए मकान में गृह प्रवेश  इत्यादि 

2. कोई मंगल पर्व आने पर जैसे – नव संवत्सर, रामराज्य उत्सव, श्री रामनवमी, श्री सीता नवमी, हनुमान जयंती, नवरात्र, दशहरा, दिवाली,होली, मकर संक्रांति, बसंत पंचमी इत्यादि 

३. मासिक वेतन मिलने पर, ब्यापार में कोई विशेष लाभ या उन्नति होने पर इत्यादि  

इस श्री रामराज्य कोष  से पूरे विश्व में रामराज्य का सञ्चालन किया जाना सरल होगा, निचे दिए लिंक से या paytm के QR कोड को स्कैन करके सीधे रामराज्य कोष, हनुमान गढ़ी के खाते में आर्थिक समर्पण किया जा सकता है, और अन्य प्रजा वर्ग को भी प्रेरित किया जा सकता है-

             

 

सीधे रामराज्य कोष के खाते में सहयोग करें

खाता संख्या- 19480210000809

IFSC Code-UCBA0001948

Uco Bank, Hanuman Garhi, Ayodhya, Uttar Pradesh

श्री रामराज्य कोष में समर्पण करने से प्राप्त होने वाला आशीर्वाद-  जैसा कि आप जानते हैं राजा और प्रजा के बीच एक संबंध होता है जो प्रजा द्वारा दिए समर्पण, उपहार, राज कर इत्यादि से पुष्ट होता है और राजा का आशीर्वाद, कृपा प्राप्त होता है। श्रीराम राजकोष में राजा राम की प्रजा के रूप में शरणागत होकर अपने परिश्रम से प्राप्त धन वैभव इत्यादि का एक छोटा सा अंश जो आपके सामर्थ में हो नियमित अंतराल पर  या वर्ष में कम से कम एक बार राजा राम को समर्पित करें और इसके पश्चात आप पाएंगे की आपके दैहिक दैविक और भौतिक कष्ट धीरे धीरे कम होते जाएंगे और आप राम राज्य के अनुकूल सुख प्राप्त होने की ओर अग्रसर होंगे। साथ ही आप राम जी की कथा रामायण का नियमित, अध्ययन, श्रवण और मनन करें।- जय श्रीराम ।

 

 

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